सूरत से पटना जा रही प्रीमियम ट्रेन में भूखे प्यासे यात्रियों ने ट्रेन
के पेंट्रीकार को लूट लिया। घटना होते ही पेंट्रीकार के कर्मचारी दहशत में
आ गए। इसके बाद यात्रियों को जो भी सामान मिला, वह उसे उठाकर चलते बने।
यात्रियों के आक्रोश को देखकर सुरक्षाकर्मी भी सहमे रहे। ट्रेन जैसे ही
मदनमहल स्टेशन पहुंची, यात्रियों ने स्टेशन पर हंगामा शुरू कर दिया। वहीं
पेंट्रीकार के कर्मचारी भी अपनी जान बचाकर भागे। यात्रियों का आरोप था कि
सुबह से उन्हें पानी और खाना नहीं मिला है। जिससे बच्चे व महिलाएं परेशान
हैं। बताया जा रहा है कि यात्रियों और पेंट्रीकार कर्मचारियों ने जीआरपी
में मौखिक शिकायत की है।
यात्रियों का आरोप है कि वह सुबह 6 बजे सूरत से ट्रेन में सवार हुए थे। सूरत-पटना प्रीमियम ट्रेन होने के कारण उसमें खाना, पानी, चाय-नाश्ते की मुफ्त सुविधा थी। जिसके चलते ट्रेन का किराया दोगुना था। यह सुविधा होने के कारण किसी ने अपने साथ खाने पीने के लिए कोई सामान नहीं रखा था। सुबह 8 बजे सभी को एक पानी की बॉटल दी गई और फिर 10 बजे नाश्ते में आटे का हलुआ और चाय दी थी। हलुआ खाने योग्य नहीं था, जिसे किसी ने नहीं खाया। जब खाने की बारी आई, तो दो रोटी, एक कटोरी चावल और दाल दी गई। खाना खाते वक्त पता चला कि चावल सड़ गया है। जिसकी शिकायत पेंट्रीकार कर्मचारियों से की गई। तो उन्होंने चावल की बदबू को बासमती राइस की खुशबू बताना शुरू कर दिया। लेकिन बदबू अधिक आने के कारण किसी ने खाना नहीं खाया।
रात लगभग 8 बजे जब ट्रेन में बैठे बच्चे, वृद्ध व महिलाएं भूख प्यास से हलाकान हो गए, तो कुछ लोग पेंट्रीकार कर्मचारियों के पास पहुंचे और उनसे खाना और पानी की बॉटल देने के लिए कहा लेकिन उन्होंने नहीं दिया। जिससे यात्री आक्रोशित हो गए और उन्होंने हंगामा करते हुए पेंट्रीकार में रखा सभी सामान लूटना शुरू कर दिया।
मेन्यू कार्ड नहीं
यात्रियों का कहना था कि मेन्यू कार्ड में जो लिखा हुआ था। वह खाने में नहीं दिया सिर्फ दो रोटी, दाल और सड़ा चावल दिया गया। जब उनसे मेन्यू कार्ड मांगा, तो उन्होंने इंकार कर दिया। प्रीमियम ट्रेन में मंहगी टिकट इसलिए है क्योंकि यात्रियों को ट्रेन में ही खाने-पीने का सामान रेलवे देता है।
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यात्रियों का आरोप है कि वह सुबह 6 बजे सूरत से ट्रेन में सवार हुए थे। सूरत-पटना प्रीमियम ट्रेन होने के कारण उसमें खाना, पानी, चाय-नाश्ते की मुफ्त सुविधा थी। जिसके चलते ट्रेन का किराया दोगुना था। यह सुविधा होने के कारण किसी ने अपने साथ खाने पीने के लिए कोई सामान नहीं रखा था। सुबह 8 बजे सभी को एक पानी की बॉटल दी गई और फिर 10 बजे नाश्ते में आटे का हलुआ और चाय दी थी। हलुआ खाने योग्य नहीं था, जिसे किसी ने नहीं खाया। जब खाने की बारी आई, तो दो रोटी, एक कटोरी चावल और दाल दी गई। खाना खाते वक्त पता चला कि चावल सड़ गया है। जिसकी शिकायत पेंट्रीकार कर्मचारियों से की गई। तो उन्होंने चावल की बदबू को बासमती राइस की खुशबू बताना शुरू कर दिया। लेकिन बदबू अधिक आने के कारण किसी ने खाना नहीं खाया।
रात लगभग 8 बजे जब ट्रेन में बैठे बच्चे, वृद्ध व महिलाएं भूख प्यास से हलाकान हो गए, तो कुछ लोग पेंट्रीकार कर्मचारियों के पास पहुंचे और उनसे खाना और पानी की बॉटल देने के लिए कहा लेकिन उन्होंने नहीं दिया। जिससे यात्री आक्रोशित हो गए और उन्होंने हंगामा करते हुए पेंट्रीकार में रखा सभी सामान लूटना शुरू कर दिया।
मेन्यू कार्ड नहीं
यात्रियों का कहना था कि मेन्यू कार्ड में जो लिखा हुआ था। वह खाने में नहीं दिया सिर्फ दो रोटी, दाल और सड़ा चावल दिया गया। जब उनसे मेन्यू कार्ड मांगा, तो उन्होंने इंकार कर दिया। प्रीमियम ट्रेन में मंहगी टिकट इसलिए है क्योंकि यात्रियों को ट्रेन में ही खाने-पीने का सामान रेलवे देता है।
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